कथा के दौरान किन बातों रखें ध्यान – हमारे संत

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कैसे सुने कथा? कथा के दौरान किन बातों रखें ध्यान- हमारे संत

आज #hamaresant आपको बताने जा रहे है कथा सत्संग सुनते किन किन बातों रखे ध्यान।

कृपया इन बातों का ध्यान रखते हुई श्रवण करें कथा।

*कथा सुनत बीरा जे खाहीं ।ते मल भक्षत नरकन माही।।*
जो कथा सुनते समय पान खाते हैं उन्हें नरक में मल भक्षण करना पड़ता है।
*कथा सुनत बैठे उच्चासन। ते अर्जुन तरु होय पापसन ।।कथा सुनही जे बिना प्रणामा ।ते विष वृक्ष होत अघधामा।।*
जो कथा सुनने में सबसे ऊंचे सिंहासन पर बैठते हैं वे पापी अर्जुन के पेड़ होते हैं। जो बिना प्रणाम किए कथा सुनते हैं वे पापी विष वृक्ष हो जाते हैं।।
*कथा सुनत जे सोवत प्रानी। ते अजगर होवैं अभिमानी।। जे वाचक सम आसन बैठे। ते गुरुतल्प पाप फल पैठें।।*
जो कथा सुनने में सोते हैं वे अभिमानी अजगर होते हैं। जो कथावाचक के आसन के समान आसन पर बैठते हैं उन्हें गुरु दारा भोग का पातक लगता है।।
*दोहा -जे निंदै रघुपति कथा, अघहरनी मनहारी।।ते सतजन्म प्रयंत सठ,स्वाना होत दु:खकारि।।*
जो व्यक्ति पापहरणी मनमोहिनी नारायण की कथा की निंदा करते हैं, वे सठ सौ जन्मतक दु:खदाई स्वान(कुत्ता) होते हैं।।
*कथा होत जे करैं विवादा, ते खर सरट होत मरयादा।। जे हरि कथा सुनत सठ नाही, होत नरकलहि कोल बनाहीं।।*
जो मनुष्य कथा होते समय विवाद करते हैं वे गधा और सरट (गिरगिट) होते हैं जो मूर्ख नारायण की कथा नहीं सुनते हैं उन्हें वन में सूकर का शरीर मिलता है और नरक में भी जाते हैं।।
*कथा विघ्न करते जे द्रोही, नरक भोग पुनि सूकर होहीं।। ये दश दोष तुरंत बिहाई , श्रीहरि कथा सुनहु सब भाई।।*
जो द्रोही कथा मे विघ्न करतें हैं, वे भी नरक भोग कर सूकर होते हैं। इसलिए भाइयों यह दस दोषों को छोड़कर और भगवान की मनमोहिनी कथा को एक सच्चे भक्त बन करके कथा को सुननी चाहिए।।
वेदमूर्ति श्री शिवबाबू ओझा

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