हमारे समाज में व्याप्त अज्ञानता, हीनभावना और कर्त्तव्यविमूढ़ता की समस्या देखकर हमारे सन्त व्यग्र हो जाते है। इन समस्याओं और व्यथाओं का समाधान के लिये अपनी कथा-सत्संग से जोड़कर हम में नई चेतना का संचार करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है।
हमारे संत, गुरु, कथावाचिका,कथावाचक, साध्वी ,लोकगायक,भाक्तिगायक और कथा प्रवक्ता अपनी कथाओं, भजनों से समाज को संस्कारवान, भक्तिवान एवं गुणवान बनाने के लिये सनातन काल से संकल्परत है।
हमारे सन्त देश के किसी भी क्षेत्र में भागवत कथा,रामकथा, शिवपुराण, देवीभागवत, वायुपुराण, नानी बाई रो मायरो,हनुमन्त कथा,रुकमणी मंगल ,मीराचारित्र, भरतचरित्रकथा एवम भजन संध्या व सत्संग का आयोजन करके स्थानीय जनता जनार्दन को प्रभु कार्यों एवं अनुकरणीय कर्मों का पाठ पढ़ाते है।
समाज उत्थान का भाव रखने वाले आयोजकों को हमारे संत साध्वी न्यूनतम खर्च पर अपनी वाणी का लाभ देने के लिये प्रयासरत है।
हमारे संत देश में कही भी आयोजित कथा-सत्संग को विश्व व्यापी बनाने के लिये सोशल मीडिया, tv चैंनलों पर ले जाने में मदद करता है साथ ही कथा- सत्संग की शूटिंग- वीडियोग्राफी करके प्रोग्राम बनाकर विभिन्न चैनल्स पर प्रसारण की उत्तम सुविधा प्रदान करता है।