साध्वी सत्यप्रिया किशोरी जी का जन्म 2004 में बसंत पंचमी तिथि पर हुआ था जिस समय साध्वी जी का जन्म हुआ उस समय उनके पिता श्री पूज्य आचार्य श्री मुकेशानंद जी महाराज राजा द्रुपद के महल के पास पांचाल घाट जनपद फरुखाबाद में गंगा तट पर श्रीमद्भागवत कथा का प्रवचन कर रहे थे कुछ ऐसी मां सरस्वती जी की कृपा रही कि जैसे ही साध्वी जी का वाल्य अवस्था में कदम बढ़ा बैसे ही धर्म की रुचि अनेकों प्रकार से बढ़ने लगी यहाँ तक कि 3 बर्ष की आयु से साध्वी जी अपने पिता की वाणी से कथा को अनुसरण किया करने लगी और 5 बर्ष की आयु में उन्होंने स्वमं से ही ईश्वर को समर्पित होने की बात अपने पिता से कहते हुए अपने नाम के आगे साध्वी लगाने को कह दिया यह एक धार्मिक परिवार के लिए बहुत ही गर्व की बात थी ठीक 2 बर्ष आगे बाद साध्वी जी 8 बर्ष की हुई और उन्होंने प्रथम वार व्यास गद्दी का स्थान धारण कर पहली श्रीमद्भागवत कथा पूर्ण विधि विधान के साथ सरल श्लोकों और सौम्यता से भक्तों को कथा श्रवण कराई अब तक उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान दिल्ली हरियाणा सहित 7 प्रान्तों में साध्वी सत्यप्रिया किशोरी जी अपने बाल्य जीवन मे 100+ श्रीमद्भागवत कथा श्री राम कथा एवं सुंदरकांड पाठ के साथ यज्ञ अनुष्ठान करा चुकीं है भक्तों को उनके प्रवचन में समाज सेवा धर्म रक्षा एवं एवं बदलाव का संदेश प्राप्त होता है अपनी सौम्य मधुर वाणी से संसार के हित की कामनाओं की एवं सनातन धर्म की अखिल विश्व के कल्याण की कामना करती है राधे राधे
साध्वी सत्यप्रिया किशोरी जी