स्वामी अनुज कृष्ण ठाकुर जी का जन्म मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे से कस्बे रतनी मे हुआ। आपके पुज्य पिता राम विलाष दुबे जि एवं माता उमा देवी निष्ठवान एव भगवत प्रेमी है। आपके पुज्य पिता श्री बचपन से ही ठाकुर जी को सुंदर शिक्षा प्रदान की । महराज श्री ने 10 वर्ष की उम्र से ही मंगलवार व्रत किया करते है। ठाकुर जी का मन बचपन से ही परोपकार की ओर था । महाराज जी ने बचपन से ही अपने पुज्य बाबा स्व. श्री देवनाथ दुबे जी से रामायण , भागवत जी , कृष्ण चरित्र का मनोयोग से श्रवण किया ।
एक दिन जन्माष्टमी का कार्यक्रम था । महाराज श्री बचपन से ही कृष्ण जन्म मनाते थे और घर के सभी लोग व्रत किया करते थे। कान्हा जी की कृपा से वृन्दावन का सोभाग्य प्राप्त हुआ । वृन्दावन पीठधीश्वर स्वामी जग गुरु विश्वेश प्रपन्नाचार्य जी महराज जी से शिक्षा एव दीक्षा ग्रहण की। सरकार (महाराज जी) का ठाकुर जी से बहुत स्नेह था। ठाकुर जी भी (महाराज श्री) अपने गुरु जी को भोजन कराने के बाद जो भी प्रसाद बचता वो पाने के बाद अपने विध्या अध्ययन कार्य मे लग जाते। स्वामी जगत गुरु विश्वेश प्रपन्नाचार्य जी के आशिर्वाद से शीघ्र सफलता मिली ।
ठाकुर जी अपने गुरुदेव के साथ भगवत सप्ताह कार्यक्रम मे भी भाग लेते रहे । ठाकुर जी ने अपने छात्र जीवन मे ही मात्र 16 वर्ष की आयु मे सर्वप्रथम नोएडा मे मलखान सिंह, वीर सिंह एव सुभाष सिंह चौहन ने श्री मद – भागवत जी का आयोजन करवाया, जिसमे ठाकुर जी ने सभी भक्तो को आनंदित किया। ओर महराज जी ने अब तक 85 भागवत जी का अनुष्ठान सफलता पुर्वक संपन्न किया । ठाकुर जी ने अपने बचपन काल के 18 वर्ष मे पांच कन्याओ का विवाह कराया । ठाकुर जी ने स्वामी रमेशान्न्द जी, स्वामी स्वरुपानन्द, डा. श्यामसुन्दर पारासर जी, रमेश भाई ओझा जी, प. श्री कृष्णचन्द्र ठाकुर जी महाराज की जीवनशेली को ह्द्य उतारते रहे |