करीब एक शताब्दी पूर्व परम् पूज्य श्री गुरु आनंद मुनि जी महाराज सा ने नो कोटि मारवाड़ में पधारे और यहाँ अपनी प्रचंड तपस्या को प्रारम्भ किया ।पूज्य श्री जी जब सर्वप्रथम यहाँ पधारे तब गुरुदेव केवल चना जल में अंकुरित करके ग्रहण करते थे। इसके अतिरिक्त वे कुछ भी नही पाते थे । गुरुदेव मारवाड़ की भूमि पर पधारकर घोर तपस्या के उद्देश्य से कुछ वर्षो तक आश्रम की चारदीवारी से बाहर नही निकल कर अंदर ही तपस्या करने का अद्वितीय निर्णय किया और इस संकल्पित तपस्या को पूर्ण अंजाम दिया ।
परम् पूज्य गुरुदेव ने यहाँ सर्वप्रथम जल से ज्योत को प्रज्वलित किया और अखंड धुनि को चेताया। आज वह अखंड धुनि श्री यज्ञ नारायण भगवान् जी के रूप में विश्व पूजनीय हे । श्री यज्ञ नारायण में प्रतिदिन पंचमेवा , घी ,व् अन्य हवन सामग्री की आहुतिया दी जाती हे । गुरुदेव के द्वारा प्रारम्भ से लेकर वर्तमान मे भी श्री यज्ञ नारायण जी अखंड रूप से चेतन हे ।
नो कोटि मारवाड़ में श्री तपोनिधि श्री आनंद मुनि जी दाता हुकुम के द्वारा आज भी प्रचंड तपस्या अपनी पराकाष्ठा पर हे । गुरदेव गौ , गरीब , ब्राह्मण के कल्याणार्थ हमेशा हवन व् अन्य धार्मिक आयोजन करते हे ।गुरुदेव की इस तपोस्थली पर प्रतिदिन यहाँ आने वाले दिन - दुखियो का गुरुदेव अपनी शक्ति भक्ति से आशीर्वाद प्रदान करके सुखमय जीवन जीने का मार्ग बताते हे ।